विभागाध्यक्ष की कलम से ...
वर्त्तमान भौगोलिक परिदृश्य में हिन्दी का उत्तरोत्तर विकास सम्भावी है। यह केवल हिन्दी-भाषी क्षेत्रों की ही भाषा नहीं रही है अपितु देश-दुनिया के सैकड़ों विश्वविद्यालयों में इसका अध्ययन-अध्यापन हो रहा है। दुनिया जिस भूमंडलीकरण के दौर से गुजर रही है , उसमें हिन्दी भाषा भी आने वाले समय में पूरे विश्व में एक सम्पर्क भाषा के रूप में स्थापित हो, इसके लिए भी हमें हिन्दी को व्यापार , वाणिज्य , तकनीकी एवं शोध के व्यापक स्तरों से सम्पृक्त करना होगा।
हिन्दी भाषा एवं साहित्य के विभिन्न आयामों को ध्यान में रखकर हिन्दी साहित्य के विभिन्न आन्दोलनों से विद्यार्थियों को अवगत कराना एवं भाषा-लेखन कौशल को विकसित करना विश्वविद्यालयीन पाठ्यक्रमों का उद्देश्य है। साहित्य में अतीत की परम्पराओं से प्रकाशपुंज लेकर वर्त्तमान विद्रूपताओं से अवगत कराना भी साहित्य का दायित्त्व है। इन्हीं उद्देश्यों एवं दायित्वों को ध्यान में रखकर शासकीय लरंगसाय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामानुजगंज छ.ग.का हिन्दी विभाग अंचल के विद्यार्थियों के साहित्यिक,भाषिक एवं भावात्मक विकास में अपना योगदान सुनिश्चित करता है।
दृष्टि एवं उद्देश्य :
साहित्यिक दृष्टिबोध ,चिंतनशीलता , रचनात्मकता ,आभिव्यक्तिक -तार्किकता एवं मानवीय मूल्यों के विकास के साथ-साथ विनम्र भाषिक प्रयोगों से अवबोधन।
वर्त्तमान अपेक्षाओं को दृष्टिगत करते हुए पाठ्यक्रम को डिजिटल माध्यम में प्रस्तुत करना एवं शिक्षा को सुरुचिपूर्ण बनाने के लिए शिक्षण विधियों में नव्य-प्रयोगों का समावेशन।
विभाग का उद्देश्य विद्यार्थियों में साहित्य एवं समाज के प्रति उत्तरदायी मानवीय मूल्यों का विकास करना है। ज्ञानार्जन के अतिरिक्त उनमें साहित्यिक-भाषिक-अभिव्यक्तिक-कौशल एवं मानवीय उपादेयता को परिमार्जित कर एक स्वस्थ्य समाज के निर्माण में सहयोग करना विभाग के केन्द्रीय उद्देश्य के रूप में काम्य है।
हिन्दी साहित्य के विभिन्न आवश्यक प्रश्नपत्रों के साथ ही पत्रकारिता-प्रशिक्षण ,अनुवाद विज्ञान , शोध-अभियोग्यता एवं कम्प्यूटर एप्लीकेशन भी स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में समाहित है जिससे विद्यार्थियों का कौशल-विकास हो एवं वे रोजगारोन्मुख हो सकें।